UP-भाजपा अध्यक्ष आखिर कौन …..?
बृजेश चतुर्वेदी
लखनऊ(BNE) उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, इस पर सियासी हलचल तेज हो गई है। 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा हर कदम सोच-समझकर उठा रही है। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद अब पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा की तैयारी में जुटी हुई है।
प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में कई नाम चर्चा में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियों में विद्यासागर सोनकर का नाम है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा समाजवादी पार्टी (सपा) के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले को कमजोर करने के लिए किसी दलित चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। इसके अलावा, बसपा प्रमुख मायावती की सक्रियता को देखते हुए भाजपा नया दांव चलने की तैयारी कर रही है।
हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में सफाई कर्मियों के साथ भोजन किया, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में सफाई कर्मियों के पैर धोकर सम्मान दिया था। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि भाजपा दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश में है। उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ की आबादी में करीब 22 प्रतिशत दलित समुदाय से आते हैं, जो चुनावी समीकरण में अहम भूमिका निभाते हैं।
जातीय संतुलन साधने की कोशिश
भाजपा के भीतर चार प्रमुख नाम प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे बताए जा रहे हैं। इनमें – विद्यासागर सोनकर (दलित समाज), बीएल वर्मा (कोइरी समाज), स्वतंत्र देव सिंह (कुर्मी समाज), और दिनेश शर्मा (ब्राह्मण समाज) शामिल हैं।
अगर कोइरी समाज से राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा का नाम आगे आता है, तो यह सवाल उठ सकता है कि इसी समाज से डिप्टी सीएम केशव मौर्य पहले से ही मौजूद हैं। वहीं, कुर्मी समाज से स्वतंत्र देव सिंह पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उनकी बिरादरी की अनुप्रिया पटेल भाजपा के सहयोगी दल की नेता हैं। अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं, जबकि उनके पति आशीष पटेल उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं। ऐसे में स्वतंत्र देव सिंह को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाना कितना उचित रहेगा, यह सवाल खड़ा हो सकता है।
ब्राह्मण कार्ड पर भी मंथन
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा ब्राह्मण समाज को साधने के लिए पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को भी प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। 2017 में जब योगी सरकार बनी थी, तब दिनेश शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया था। हालांकि, मौजूदा सरकार में ब्राह्मण समाज को खुश करने के लिए बृजेश पाठक को डिप्टी सीएम बनाया गया है।
2027 चुनाव के लक्ष्य पर निशाना
भाजपा का लक्ष्य 2027 में लगातार तीसरी बार उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी करना है। 2014 की मोदी लहर के बाद उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर पूरी तरह बदल गई थी। दलित और पिछड़ा वर्ग, जो पहले बसपा और सपा के साथ रहा करता था, वह भाजपा के पाले में आ गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को दलित समुदाय का समर्थन मिला। 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा सिर्फ एक सीट तक सिमट गई, जिससे यह साफ हो गया कि दलित वोट बैंक में बड़ा बदलाव आया है।
सूत्रों की मानें तो, अब भाजपा की कोशिश रहेगी कि वह 2027 में भी दलित वोटों को अपने पाले में बनाए रखे। इसके लिए पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद पर ऐसा नेता नियुक्त कर सकती है, जो जातीय संतुलन बनाए रखते हुए पार्टी को सत्ता में लौटाने में अहम भूमिका निभा सके