जर्मनी के आडवाणी’ बने फ्रेडरिक मर्ज! संसद में पहला झटका, चांसलर की कुर्सी पर सस्पेंस बरकरार
‘जर्मनी के आडवाणी’ बने फ्रेडरिक मर्ज! संसद में पहला झटका, चांसलर की कुर्सी पर सस्पेंस बरकरार
पहले दौर की वोटिंग में सिर्फ 310 वोट मिले, बहुमत से चूके मर्ज; अब दोबारा चुनाव या नए उम्मीदवार की तैयारी
जर्मनी की राजनीति में इन दिनों एक नाम चर्चा में है—फ्रेडरिक मर्ज। फरवरी से चांसलर इन वेटिंग माने जा रहे इस रूढ़िवादी नेता को संसद में चौंकाने वाली हार का सामना करना पड़ा है। मर्ज को पहले चरण के मतदान में बहुमत नहीं मिला और वह सिर्फ 310 वोट ही हासिल कर सके, जबकि बहुमत के लिए उन्हें 316 वोट चाहिए थे।
बुंडेस्टाग में मर्ज के गठबंधन के पास कुल 328 सीटें थीं, लेकिन फिर भी वे जरूरी समर्थन जुटाने में विफल रहे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह पहला मौका है जब कोई चांसलर उम्मीदवार पहले ही राउंड में बहुमत नहीं जुटा पाया है। ऐसे में अब जर्मनी की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी है।
अब संसद के पास 14 दिन हैं जिसमें वह किसी उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत से चांसलर चुन सके। मर्ज फिर से अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं, लेकिन अन्य नेता भी मैदान में आ सकते हैं। अगर इस समय सीमा में कोई उम्मीदवार बहुमत नहीं जुटा पाया, तो राष्ट्रपति के पास संसद भंग कर नए चुनाव की घोषणा करने का अधिकार होगा।
अगर मर्ज यह बाज़ी जीत जाते हैं तो वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी के पहले कंजरवेटिव चांसलर बनेंगे। फिलहाल ‘चांसलर इन वेटिंग’ का उनका सपना अधूरा है और भविष्य अभी भी अनिश्चितताओं से भरा हुआ है।













