2027 में सपा के पीडीए के सामने कितना टिकेगा भाजपा का एपीडी!
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। यूपी भाजपा ने ढाई महीने की मशक्कत के बाद आखिरकार रविवार को 70 जिलों में जिलाध्यक्ष की घोषणा कर दी। 28 जिलों में विरोध, गुटबाजी और नेताओं के दबाव के चलते ऐन वक्त पर चुनाव टाल दिया गया। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी, प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय के संसदीय क्षेत्र चंदौली और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के गृह जनपद कौशांबी में जिलाध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो सकी।
70 जिलाध्यक्षों में से 44 नए चेहरे हैं। 26 को दोबारा मौका दिया गया है। 69 में सिर्फ 5 महिलाएं हैं। भाजपा ने पंचायत चुनाव 2026 और विधानसभा चुनाव 2027 के मद्देनजर लखनऊ से दिल्ली तक काफी मशक्कत के बाद यह टीम तैयार की है। नाम न छापने की शर्त पर भाजपा के एक पूर्व जिला अध्यक्ष ने कहा 2027 में अखिलेश यादव के पीडीए से लड़ने के लिये जिलाध्यक्षों की यह टीम भाजपा के लिये वॉटर लू न बन जाये। अखिलेश यादव के सामने भाजपा का एपीडी (अगड़ा-पिछड़-दलित) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधानसभा अध्यक्ष सुरेश खन्ना, विधानपरिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के बीच एक मात्र पिछड़ा नेता उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हैं, वही मौर्य विधानपरिषद में नेता सदन भी हैं। ऐसे में 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा अखिलेश यादव के पीडीए से कैसे लड़ेगी।
70 इकाइयों में से 39 जिलाध्यक्ष सामान्य वर्ग से हैं। इनमें 20 ब्राह्मण, 10 ठाकुर, 4 वैश्य, 3 कायस्थ और दो भूमिहार हैं। जबकि, 25 ओबीसी और छह अनुसूचित जाति से हैं। पूरे यूपी को भाजपा ने 98 संगठनात्मक जिलों में विभाजित कर रखा है। जनवरी के पहले हफ्ते से ही जिलों में चुनाव प्रक्रिया जारी थी। लेकिन विरोध और नेताओं के दबाव के चलते प्रदेश चुनाव प्रभारी महेंद्रनाथ पांडेय सभी जिलों में एक साथ जिलाध्यक्ष घोषित कराने में सफल नहीं हो सके।
इस संदर्भ में प्रदेश चुनाव अधिकारी डॉ महेंद्र नाथ पांडेय से संपर्क करने की कोशिश की गयी, हर बार उनके सहयोगी ने मोबाइल पिक किया, विषय भी पूछ लिया, लेकिन महेंद्र नाथ पांडेय लाइन पर नहीं आये।