INTERNATIONAL NEWS -DEATH MYSTERY
दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी मायोक्लोनस डिस्टोनिया से पीड़ित हैं ब्रिआना कोलोराडो
ब्रिआना का दावा है कि उन्होंने वहां कुछ ऐसे प्राणी भी देखे जो पूरी तरह इंसानों जैसे नहीं थे, फिर भी अजनबी नहीं लगे
INTERNATIONAL NEWS-कोलोराडो की 33 वर्षीय ब्रिआना लैफर्टी ने हाल ही में अपने उस अनुभव को साझा किया है जिसने जीवन, मृत्यु और अस्तित्व को लेकर उनके नजरिए को पूरी तरह बदल दिया। दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी मायोक्लोनस डिस्टोनिया से पीड़ित ब्रिआना का शरीर अचानक काम करना बंद कर गया और उन्हें आठ मिनट तक क्लिनिकली मृत घोषित कर दिया गया था।
ब्रिआना बताती हैं, ‘मैं अचानक अपने शरीर से अलग हो गई थी। मैंने न तो अपने मानवीय रूप को देखा और न ही याद किया। फिर भी मैं खुद को पहले से कहीं ज्यादा जीवंत और सचेत महसूस कर रही थी।’
उन्होंने आगे बताया कि किसी आवाज़ ने उनसे पूछा, ‘क्या तुम तैयार हो?’ इसके बाद वे अंधकार में डूब गईं। उनका चेतन मन एक ऐसे अनंत आयाम में पहुंच गया जहां समय का कोई अस्तित्व नहीं था, लेकिन सब कुछ बिल्कुल स्पष्ट था। “वहां शांति, प्रेम और समझ थी — शारीरिक पीड़ा के उलट एक दिव्य अनुभूति।”
ब्रिआना का दावा है कि उन्होंने वहां कुछ ऐसे प्राणी भी देखे जो पूरी तरह इंसानों जैसे नहीं थे, फिर भी अजनबी नहीं लगे। उनके अनुसार, वह अनुभव यह समझाने के लिए काफी था कि हमारा मानवीय जीवन कितना क्षणिक और नाज़ुक है। “वहां विचार तुरंत साकार हो जाते थे और नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदला जा सकता था।”
इस अनुभव के बाद ब्रिआना का जीवन के प्रति नज़रिया पूरी तरह बदल गया। उन्होंने कहा, “जो डर पहले मुझे जकड़ता था, अब उसका मुझ पर कोई असर नहीं। जीवन और मृत्यु दोनों के प्रति अब मेरे भीतर गहरी श्रद्धा है।”
हालांकि मृत्यु से लौटने के बाद उन्हें कई शारीरिक संघर्षों का सामना करना पड़ा — चलना और बोलना दोबारा सीखना पड़ा, साथ ही पिट्यूटरी ग्लैंड की सर्जरी भी करानी पड़ी। लेकिन आज वे इन संघर्षों को उद्देश्यपूर्ण मानती हैं। “अब यह साफ है कि मेरी बीमारी और तकलीफों के पीछे भी कोई कारण था।”
ब्रिआना मानती हैं कि यह अनुभव कोई अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत थी। हालांकि वे मानती हैं कि एक और निकट-मृत्यु अनुभव से उन्हें डर लगता है, लेकिन अब जीवन उनके लिए पहले से कहीं ज्यादा अर्थपूर्ण हो चुका है।
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